Green Property | हरित संपत्ति: पर्यावरण के अनुकूल निवेश का भविष्य

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Green Property

Table of Contents

जानें कि हरित संपत्ति क्या है और यह कैसे पर्यावरण और निवेशकों के लिए लाभकारी है | Learn what green property is and how it benefits the environment and investors

परिचय: हरित संपत्ति की अवधारणा

हरित संपत्ति (Green Property), जिसे अंग्रेजी में “ग्रीन प्रॉपर्टी” कहा जाता है, पर्यावरण-संवेदनशील डिज़ाइन और टिकाऊ तकनीकों के उपयोग से बनाई जाती हैं। इन संपत्तियों का उद्देश्य ऊर्जा की बचत करना है।

हरित संपत्ति (Green Property) के प्रमुख तत्व

Land Property

1. ऊर्जा दक्षता

हरित संपत्तियों (Green Property) में सौर पैनल, LED लाइट्स और ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये ऊर्जा की खपत को घटाने में मदद करते हैं।

2. जल संरक्षण

इन संपत्तियों में वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण प्रणाली का उपयोग होता है, जो पानी की बचत करता है।

3. पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री

हरित इमारतों में पुनर्नवीनीकरण सामग्री, बांस और कम उत्सर्जन वाली सीमेंट का उपयोग होता है।

पर्यावरण पर हरित संपत्तियों (Green Property) का प्रभाव

1. कार्बन फुटप्रिंट में कमी

हरित संपत्तियां (Green Property) सौर ऊर्जा और अन्य टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन को घटाती हैं।

2. जलवायु परिवर्तन के लिए सकारात्मक कदम

यह संपत्तियां प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी उपयोग को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्याएं कम होती हैं।

निवेशकों के लिए हरित संपत्तियां (Green Property) क्यों लाभकारी हैं?

1. बढ़ती बाजार मांग

हरित संपत्तियों (Green Property) की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो निवेशकों को उच्च लाभ देती है।

2. कर में छूट और प्रोत्साहन

भारत सरकार और अन्य देश हरित संपत्तियों (Green Property) पर कर में छूट और सब्सिडी प्रदान करते हैं।

3. दीर्घकालिक वित्तीय लाभ

यह संपत्तियां रखरखाव लागत को कम करती हैं और उनकी पुनर्विक्रय कीमत अधिक होती है।

हरित संपत्तियों (Green Property) के प्रकार

1. आवासीय हरित संपत्ति (Green Property)

घरों और अपार्टमेंट्स में हरित तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

2. वाणिज्यिक हरित संपत्ति (Green Property)

दफ्तरों, मॉल्स और अन्य व्यावसायिक भवनों में ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता दी जाती है।

3. औद्योगिक हरित संपत्ति (Green Property)

फैक्ट्रियों और गोदामों में टिकाऊ निर्माण और प्रबंधन प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है।

हरित संपत्तियों (Green Property) में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकें

1. सौर ऊर्जा प्रणाली

सौर ऊर्जा पैनल का उपयोग करके बिजली की खपत को कम किया जाता है।

2. जल पुनर्चक्रण प्रणाली

पानी को दोबारा उपयोगी बनाना इन संपत्तियों का प्रमुख उद्देश्य है।

3. स्मार्ट तकनीक

हरित संपत्तियों में स्मार्ट थर्मोस्टेट्स, सेंसर-आधारित लाइटिंग और स्मार्ट वाटर मीटर शामिल होते हैं।

भारत में हरित संपत्तियों (Green Property) की स्थिति

1. सरकारी योजनाएं और प्रोत्साहन

भारत सरकार ने “स्मार्ट सिटी मिशन” और “अटल मिशन फॉर रीजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT)” जैसी योजनाएं शुरू की हैं।

2. बढ़ता निर्माण क्षेत्र

भारत में हरित भवनों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है, विशेष रूप से महानगरों में।

हरित प्रमाणपत्र और मानक

1. LEED प्रमाणपत्र

यह हरित इमारतों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र है।

2. GRIHA मानक

भारत में हरित इमारतों के लिए प्रमुख मानक।

3. IGBC प्रमाणपत्र

यह भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल द्वारा जारी किया जाता है।

हरित संपत्ति खरीदने के टिप्स

1. प्रमाणपत्र जांचें

संपत्ति के पास LEED, GRIHA, या IGBC प्रमाणपत्र होना चाहिए।

2. तकनीकी सुविधाएं

संपत्ति में सौर पैनल, जल पुनर्चक्रण प्रणाली और स्मार्ट तकनीक होनी चाहिए।

3. रखरखाव लागत का आकलन करें

हरित संपत्तियों की रखरखाव लागत पर ध्यान दें।

हरित संपत्तियों का भविष्य

1. स्थायी विकास की दिशा में कदम

हरित संपत्तियां टिकाऊ भविष्य के लिए आवश्यक हैं।

2. निवेश के नए अवसर

भविष्य में हरित संपत्तियों की मांग बढ़ने की संभावना है।

निष्कर्ष

हरित संपत्तियां पर्यावरण और निवेशकों दोनों के लिए लाभकारी हैं। टिकाऊ भविष्य के लिए इनका महत्व दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करती हैं, बल्कि निवेशकों को उच्च लाभ भी प्रदान करती हैं।


FAQs

1. हरित संपत्ति क्या होती है?
हरित संपत्ति पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ तकनीकों का उपयोग करके बनाई जाती है।

2. हरित संपत्तियों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
ये संपत्तियां ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं।

3. हरित संपत्ति में कौन-कौन सी तकनीकें इस्तेमाल होती हैं?
सौर ऊर्जा, जल पुनर्चक्रण और स्मार्ट तकनीक जैसी टिकाऊ तकनीकें।

4. भारत में हरित संपत्तियों के प्रमाणपत्र कौन से हैं?
LEED, GRIHA, और IGBC प्रमुख प्रमाणपत्र हैं।

5. हरित संपत्तियों में निवेश क्यों फायदेमंद है?
यह दीर्घकालिक वित्तीय लाभ प्रदान करती हैं और कर में छूट देती हैं।

कुछ अनोखे तथ्य (Unusual Facts)

  1. हरित संपत्तियों में वायु की गुणवत्ता में सुधार
    हरित इमारतों में उपयोग किए गए पौधों और विशेष सामग्री वायु की गुणवत्ता को 30% तक बेहतर बना सकते हैं।
  2. सौर ऊर्जा से संचालित भवन
    हरित संपत्तियां 70% तक बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर करती हैं।
  3. जल पुनर्चक्रण प्रणाली का उपयोग
    कुछ हरित संपत्तियां प्रतिदिन 50% तक पानी की बचत करती हैं।
  4. उत्सर्जन को कम करने में मदद
    हरित संपत्तियां सामान्य संपत्तियों की तुलना में 60% तक कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं।
  5. दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ
    हरित संपत्तियों में रहने वाले लोग अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं, क्योंकि ये इमारतें विषाक्त पदार्थों को कम करने में सक्षम होती हैं।

संदर्भ वेबसाइट्स (References Websites)

  1. Indian Green Building Council (IGBC)
  2. Leadership in Energy and Environmental Design (LEED)
  3. Global Reporting Initiative on Green Properties

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि निवेश करने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञ से सलाह लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी सामग्री की सटीकता की पूर्ण गारंटी नहीं दी जा सकती है।

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